RBI New Update : भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को कर्ज देने की रफ्तार को लेकर आगाह किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस बैंक उत्तर प्रदेश और बिहार में कर्ज देने की रफ्तार धीमी कर दें। केंद्रीय बैंक ने माइक्रोफाइनेंस बैंकों को आगाह किया कि अगर समय रहते जोखिम प्रबंधन का सही इस्तेमाल नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
दोनों राज्यों में कर्ज का 25.3 फीसदी हिस्सा
भारतीय रिजर्व बैंक का यह निर्देश बिहार और उत्तर प्रदेश में माइक्रोफाइनेंस कर्ज का हिस्सा बढ़ने के बाद आया है। इन दोनों राज्यों में कुल माइक्रोफाइनेंस कर्ज का 25.3 फीसदी हिस्सा वितरित किया जाता है। असुरक्षित कर्ज खास तौर पर कम आय वाली महिला कर्जदारों को दिया जाता है। वर्ष 2019 से माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के लिए प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियों के मामले में बिहार और यूपी सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से हैं।
कई जगहों से कर्ज लेना
कुछ दिनों पहले जारी सीआरआईएफ हाईमार्क की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2024 की अंतिम तिमाही में तीन ऋणदाताओं से ऋण लेने वाले उधारकर्ताओं की संख्या कुल बकाया ऋणों का 10.1% थी, जबकि बिहार में चार या अधिक ऋणदाताओं से ऋण लेने वाले उधारकर्ताओं की संख्या 8.7% थी। इसके अलावा देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश यानी यूपी में ये संख्या क्रमशः 7.7% और 6.6% थी। सीआरआईएफ हाईमार्क ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा कि मार्च 2024 तक 46.9% की हिस्सेदारी के साथ 30,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच के ऋण पोर्टफोलियो पर हावी रहे।
आरबीआई को इस बात का डर
बैंकिंग नियामक ने अपनी चिंता व्यक्त की है कि बिहार और उत्तर प्रदेश में विनियमित संस्थानों के माध्यम से कम आय वर्ग के लोगों का चलन बढ़ रहा है। इसलिए, 2010 में आंध्र प्रदेश में उत्पन्न संकट जैसी स्थिति से बचने के लिए, ऋण वितरण की गति कम कर दी जानी चाहिए
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